इन्तज़ार में तेरे मन्ज़िल राह तकती रह गई। तू ना आया ऐ मुसाफ़िर रौशनी भी ढह गई।। इन्तज़ार में तेरे मन्ज़िल राह तकती रह गई। तू ना आया ऐ मुसाफ़िर रौशनी भी ढह गई।।
तुम्हारे बिना जीना सीख ही तो गई थी मैं, फिर ख्वाबों में आ कर के क्यों सताते हो ? तुम्हारे बिना जीना सीख ही तो गई थी मैं, फिर ख्वाबों में आ कर के क्यों सताते ह...
घर में घर में
मध्यांतर में मध्यांतर में
शीशे में शीशे में
मुझे खामोशी मानोगे तो मैं खामोश हूँ मुझे खामोशी मानोगे तो मैं खामोश हूँ